कोशिका की खोज
मेरे प्यारे साथियों ! नमस्कार आज के इस ब्लॉग में हम लोग कोशिका की खोज का अध्ययन करने वाले हैं। पिछले पोस्ट में हमने कोशिका के बारे में बताया था। उससे संबंधित और भी महत्वपूर्ण तथ्यों को बताए थे । अगर आपने उन तथ्यों को नहीं पढ़ा है तो आप हमारे ब्लॉग पर इससे पहले का ब्लॉग देख सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम निम्नलिखित प्रश्नों को जानेंगे।
1). कोशिका की खोज किसने की?
2). मृत कोशिका की खोज किसने की?
3). साइटोलॉजी या कोशिका विज्ञान का जनक
4). जीवित कोशिका की खोज किसने की?
5). बैक्टीरियोलॉजी या जीवाणु विज्ञान का जनक
6). केंद्रक की खोज
7). प्रोटोप्लाज्म की खोज
8). प्रोटोप्लाज्म क्या है?
पिछले पोस्ट का लिंक 🔗:: https://educationplusuk.blogspot.com/2023/06/koshika-cellplant-cellanimal-cell.html?m=1
1) कोशिका की खोज
कोशिकाओं का वास्तविक ज्ञान माइक्रोस्कोप के आविष्कार के बाद ही प्राप्त हो सका सर्वप्रथम 1665 ईस्वी में रॉबर्ट हुक नामक एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने अपने द्वारा बनाए गए माइक्रोस्कोप से कोशिका की खोज की। रॉबर्ट हुक ने कोर्ट की एक पतली काट में अनेक सूक्ष्म ,मोटी भित्ति वाली , मधुमक्खी के छत्ते जैसी कोठारिया देखी ।रॉबर्ट हुक ने इन कोठारियो को सेल का नाम दिया।  |
| कोशिका |
2). मृत कोशिका की खोज किसने की
सर्वप्रथम मृत कोशिका की खोज की गई थी और इसे रॉबर्ट हुक ने खोजा था।
3). साइटोलॉजी या कोशिका विज्ञान का जनक
साइटोलॉजी को ही कोशिका विज्ञान कहा जाता है। सर्वप्रथम कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने किया था , अतः रॉबर्ट हुक को कोशिका विज्ञान का जनक कहा जाता है ।
4). जीवित कोशिका की खोज किसने की ?
लीऊवेनहोएक नामक एक डच वैज्ञानिक ने 1674 ईस्वी में जीवित कोशिका की खोज की। इन्होंने जीवाणु , प्रोटोजोआ आदि कोशिकाओं को देखा।
5). बैक्टीरियोलॉजी या जीवाणु विज्ञान का जनक
लीऊवेनहोएक ने जीवाणु के जीवित कोशिका को देखा था अतः लियूवेनहोएक को जीवाणु विज्ञान का जनक कहा जाता है।
6). केंद्रक की खोज :-
1831 मैं रॉबर्ट ब्राउन ने बताया कि प्रत्येक कोशिका के अंदर एक गोलाकार रचना होती है इसे ब्राउन ने केंद्रक का नाम दिया अतः केंद्रक की खोज रॉबर्ट ब्राउन ने की थी। |
| केंद्रक की खोज |
7). प्रोटोप्लाज्म की खोज:-
प्रोटेप्लाज्म की खोज दुजार्दिन ने किया था इसने इसका नाम सार्कोड रखा था। पुर्किंजे ने सारकोड नाम प्रोटोप्लाज्म रखा।
8). प्रोटोप्लाज्म क्या है?
कोशिका के अंदर पाए जाने वाले अर्ध तरल ,दानेदार सजीव पदार्थ को प्रोटोप्लाज्म कहा जाता है इसकी खोज सबसे पहले दुजार्दिन ने किया था।
1838 ईस्वी में एक वनस्पति वैज्ञानिक स्लाइडेन ने कहा कि पादपों का शरीर सूक्ष्म कोशिकाओं का बना होता है। 1839 ईस्वी में एक प्राणी विज्ञानी स्वान ने बताया कि जंतु का शरीर भी सूक्ष्म कोशिकाओं का बना है । फिर यह दोनों जर्मन वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के आधार पर एक मत का प्रतिपादन किया , जिसे कोशिका सिद्धांत कहते हैं । कोशिका सिद्धांत में उन्होंने यह बात व्यक्त की कि कोशिका शरीर की संरचनात्मक इकाई है।
इसके बाद 1855 में रूसो ने बताया कि नई कोशिकाओं का निर्माण पहले से मौजूद कोशिकाओं से होता है। मैक्स शुल्ज ने 1861 ईसवी में बताया कि कोशिका प्रोटोप्लाज्म का एक पिंड है जिसमें एक केंद्रक होता है। इस कथन को प्रोटोप्लाज्मवाद कहते हैं। इसके बाद 1884 में आज स्ट्रासबर्गर ने बताया कि केंद्रक पैतृक लक्षणों की वंशागति में भाग लेता है।